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होली | शाही शायरी
holi

नज़्म

होली

जूलियस नहीफ़ देहलवी

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हम से नज़र मिलाइए होली का रोज़ है
तीर-ए-नज़र चलाइए होली का रोज़ है

बढ़िया शराब लाइए होली का रोज़ है
ख़ुद पीजिए पिलाइए होली का रोज़ है

पर्दा ज़रा उठाइए होली का रोज़ है
बे-ख़ुद हमें बनाइए होली का रोज़ है

संजीदा क्यूँ हुए मिरी सूरत को देख कर
सौ बार मुस्कुराइए होली का रोज़ है

यूँ तो तमाम उम्र सताया है आप ने
लिल्लाह न अब सताइए होली का रोज़ है

बच्चे गली में बैठे हैं पिचकारियाँ लिए
बच बच के आप जाइए होली का रोज़ है

दुनिया ये जानती है ग़ज़ल-गो 'नहीफ़' हैं
उन की ग़ज़ल सुनाइए होली का रोज़ है