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हिज्र | शाही शायरी
hijr

नज़्म

हिज्र

ख़दीजा ख़ान

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हिज्र में भी
फ़ुर्क़त का गुमाँ

होने नहीं देता
रहता है वो ख़यालों में

इतने क़रीब कि
वस्ल की सूरत में

धुलने लगता है
उस का एहसास