हिज्र में भी
फ़ुर्क़त का गुमाँ
होने नहीं देता
रहता है वो ख़यालों में
इतने क़रीब कि
वस्ल की सूरत में
धुलने लगता है
उस का एहसास
नज़्म
हिज्र
ख़दीजा ख़ान
नज़्म
ख़दीजा ख़ान
हिज्र में भी
फ़ुर्क़त का गुमाँ
होने नहीं देता
रहता है वो ख़यालों में
इतने क़रीब कि
वस्ल की सूरत में
धुलने लगता है
उस का एहसास