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हवालात | शाही शायरी
hawalat

नज़्म

हवालात

नीलमा सरवर

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फूलों वाले बाग़ में बैठ कर
एक बड़ा सा पिंजरा देखा

जिस में कुछ इंसान भरे थे
पीली रंगत

वहशी आँखें
बिखरे बालों वाले इंसाँ

छोटे से इस तंग पिंजरे में
कुछ बैठे थे कुछ लेटे थे

लेकिन सब कुछ सोच रहे थे
शायद अपनी अपनी सज़ाएँ

या फिर अपने अपने जराएम
या उन लोगों के बारे में

जो पिंजरे से बाहर बैठे
आज़ादी पर नाज़ाँ थे