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हर्फ़-ए-मुक़द्दर | शाही शायरी
harf-e-muqaddar

नज़्म

हर्फ़-ए-मुक़द्दर

इंजिला हमेश

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जम्हूरियत जम्हूरियत जम्हूरियत
एक वहशत-नाक हक़ीक़त

जहाँ आज़ादी हो ख़ून चूसने की
जहाँ बड़ी बेबाकी से एक झूट दूसरे झूट से मुक़ाबला कर सके

जहाँ बदी बदी के मुक़ाबिल हो
जहाँ यज़ीद के सामने कोई हुसैन न हो

जहाँ यज़ीद के सामने कोई हुसैन न हो
जहाँ कलेजा चबाने की पूरी आज़ादी हो

जहाँ अज़ाब-ए-इलाही को भी जम्हूरियत तसव्वुर किया जाता हो
हम ऐसी तबाह-शुदा बस्ती के बासी हैं