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हमारे ख़्वाब कहीं नहीं हैं | शाही शायरी
hamare KHwab kahin nahin hain

नज़्म

हमारे ख़्वाब कहीं नहीं हैं

ज़ीशान साहिल

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तुम्हारे पास एक जंगल है
जहाँ कहीं कहीं आसमान

और ख़ुशी है
और एक पतंग

जिस पर कोई निशान
या रंग नहीं है

तुम्हारे पास एक घड़ी है
जिस में मेरा वक़्त

या मोहब्बत बंद है
एक पर है

जिस से कोई नज़्म
या कहानी लिख सकते हैं

और एक आँसू
जो किसी ज़हर

या किसी के लिए नहीं है