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हम वक़्त के सहरा में | शाही शायरी
hum waqt ke sahra mein

नज़्म

हम वक़्त के सहरा में

क़ाज़ी सलीम

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हम वक़्त के सहरा में
उड़ते हुए बादल हैं

किस वक़्त मिलें कब तक
हम साथ रहें क्या हो

शायद किसी झोंके से
मिलने को तरस जाएँ

बेहतर है यहीं आओ
इक साथ बरस जाएँ