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हम से दूर | शाही शायरी
humse dur

नज़्म

हम से दूर

मख़मूर कुंवर

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जंगल जंगल भटक रहा है
आधी रात का चाँद

दरिया दरिया ढूँढ रही है जाने किस को रात
शायद कोई झोंका तुम को ले उतरे उस पार

जंगल है आबाद
और किसी कुटिया में रौशन

मिल जाएँ वो ख़्वाब
लेकिन तुम को देख रहा है

जंगल के मंजधार
इस जंगल से निकले भी तो

जंगल है उस पार