हम न सही तुम न सही
मगर अब भी कोई लड़का
किसी लड़की के घर के सामने
चिलचिलाती धूप में खड़ा होगा
किसी बहाने
तुम न सही मैं न सही
मगर अब भी कोई लड़की
घर की खिड़की तक आने में
झिझकती होगी
कि इस पागल लड़के की
हौसला-अफ़ज़ाई न हो जाए
मैं न सही तुम न सही
मगर वो लड़का अब भी
मिस करता होगा
वो चिलचिलाती धूप
और वो लड़की अब भी
मिस करती होगी
वो बेबाक हौसला
नज़्म
हम न सही
सुबोध लाल साक़ी