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हालत-ए-जंग में मज़दूरी | शाही शायरी
haalat-e-jang mein mazduri

नज़्म

हालत-ए-जंग में मज़दूरी

मुस्तफ़ा अरबाब

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वो आए
उन्हों ने कहा

मिट्टी खोदो
हम ने

संगी ज़मीन में
मतलूब गढ़ा बना कर दिया

उस के अंदर जाओ
वो दुरुश्त लहजे में बोले

हम
गहरे गढ़े में उतर गए

उन्हों ने
मिट्टी डाल कर

ज़मीन हमवार कर ली
हमें मौत भी

उजरत के तौर पर मिली है