अपनी दुआओं के ज़ख़्मी पैरों से
चलता जाता हूँ
और ये काँटे-दार रास्ता
उस वीरान मस्जिद तक जाता है
जिस के तमाम गुम्बद ओ मेहराब
मेरे गुनाहों की धुँद में
डूबे हुए हैं
नज़्म
गुनाहों की धुँद
फ़रहत एहसास
नज़्म
फ़रहत एहसास
अपनी दुआओं के ज़ख़्मी पैरों से
चलता जाता हूँ
और ये काँटे-दार रास्ता
उस वीरान मस्जिद तक जाता है
जिस के तमाम गुम्बद ओ मेहराब
मेरे गुनाहों की धुँद में
डूबे हुए हैं