ख़्वाहिशें दीवार-ए-गिर्या पर ख़ुशी के गीत हैं
रास्ते अच्छे दिनों के ख़्वाब हैं
लेकिन हमेशा मंज़िलों से दूर रहते हैं
लकीरें दाएरों में क़ैद हैं
चलते रहो!
रेगज़ारों के सफ़र का अंत पानी है
सराबों के तआक़ुब में कभी निकलो
तो आँखों के समुंदर साथ रखना
काँच ख़ामोशी के जंगल से कभी गुज़रो
तो आवाज़ों के पत्थर साथ रखना!
गुम्बदों के दरमियाँ रहते हुए
दर साथ रखना!!
नज़्म
गुम्बदों के दरमियाँ
नसीर अहमद नासिर