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गुम-शुदा रिवायतें | शाही शायरी
gum-shuda riwayaten

नज़्म

गुम-शुदा रिवायतें

पैग़ाम आफ़ाक़ी

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साफ़-ओ-शफ़्फ़ाफ़ झीलों की वो मछलियाँ
वो तड़पती हुई मछलियाँ

ख़ूब-सूरत थीं
और एक दिन वो उन्हें मार कर खा गए

साफ़-ओ-शफ़्फ़ाफ़ झीलों में अब ख़ून की धार है