रात की थी तन्हाई
ख़ामोशी का डेरा था
सोए सोए पत्तों पर
दर्द का बसेरा था
आँसुओं का घेरा था
दूर जब सवेरा था
ऐसे सर्द मौसम में
रात के झमेले में
खो गए अकेले में
दो दिलों को मिलना था
झील भी अकेली थी
चाँद भी अकेला था
नज़्म
घात
अासिफ़ साक़िब
नज़्म
अासिफ़ साक़िब
रात की थी तन्हाई
ख़ामोशी का डेरा था
सोए सोए पत्तों पर
दर्द का बसेरा था
आँसुओं का घेरा था
दूर जब सवेरा था
ऐसे सर्द मौसम में
रात के झमेले में
खो गए अकेले में
दो दिलों को मिलना था
झील भी अकेली थी
चाँद भी अकेला था