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फ़रियाद | शाही शायरी
fariyaad

नज़्म

फ़रियाद

शहाब अख़्तर

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सुनो दर्ज़ी
टाँक दोगे

जिस्म के उस हिस्से को
जिस पे

मौसम का
सब से गहरा उत्तर होता है

समुंदर
इन दिनों

बेहद यहाँ ये है
समुंदर के यार

कौन है