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फ़ना का इलाक़ा | शाही शायरी
fana ka ilaqa

नज़्म

फ़ना का इलाक़ा

जाफ़र साहनी

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बहुत नर्म-ओ-नाज़ुक
हसीं पँख वाली

परेशान तितली
कभी पत्ते छू कर

कभी चूम कर फूल
राह-ए-बक़ा ढूँडने में लगी थी

किरन आफ़्ताबी थी देती दिलासा
हवा भी थपकती थी

शफ़क़त से उस को
कि इतने में इंसान-ज़ादा कोई

चुपके से अपनी चुटकी में ले कर
बड़े प्यार से

इस हसीं पँख वाली
परेशान तितली को

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फ़ना का इलाक़ा