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फलस्तीनी बच्चे के लिए लोरी | शाही शायरी
falastini bachche ke liye lori

नज़्म

फलस्तीनी बच्चे के लिए लोरी

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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(2)
मत रो बच्चे

रो रो के अभी
तेरी अम्मी की आँख लगी है

मत रो बच्चे
कुछ ही पहले

तेरे अब्बा ने
अपने ग़म से रुख़्सत ली है

मत रो बच्चे
तेरा भाई

अपने ख़्वाब की तितली पीछे
दूर कहीं परदेस गया है

मत रो बच्चे
तेरी बाजी का

डोला पराए देस गया है
मत रो बच्चे

तेरे आँगन में
मुर्दा सूरज नहला के गए हैं

चंद्रमा दफ़ना के गए हैं
मत रो बच्चे

अम्मी, अब्बा, बाजी, भाई
चाँद और सूरज

तू गर रोएगा तो ये सब
और भी तुझ को रुलवाएेंगे

तू मुस्काएगा तो शायद
सारे इक दिन भेस बदल कर

तुझ से खेलने लौट आएँगे