मेरे हाथ पर लिख दो
फ़ैसला जुदाई का
इतना मुख़्तसर लिखना
जितनी तुम ने मुझ जैसे
कम-नसीब शाइ'र से
मुख़्तसर मोहब्बत की
इतना मुख़्तसर लिक्खो
फ़ैसला जुदाई का
जितनी मुझ में साँसें हैं
जितनी मेरी हस्ती है
जिस में आज से पहले
वस्ल के गुलाबों की रौशनी महकती थी
फ़ैसला जुदाई का अब तवील मत लिखना
जिस तरह मिरी चाहत
जिस तरह मिरी ख़्वाहिश
फ़ैसला जुदाई का गर तवील लिक्खोगी
तब मैं पढ़ न पाऊँगा
मैं तो अब जुदाई के फ़ैसले को पढ़ने तक
ज़िंदगी का साथी हूँ
ज़िंदगी तुम्हारी है
नज़्म
फ़ैसला
मुनव्वर जमील