यूँ तो पहले
कितनी बार मिला था लेकिन
इक दिन मैं ने
उस की आँखों में
जलती-बुझती रौशनियों को
देख लिया था
और बहुत हैरान हुआ था
आज हमारे बीच
इक ऐसी दीवार खड़ी है
जिस का कोई नाम नहीं है
नज़्म
फ़ासला
खलील तनवीर
नज़्म
खलील तनवीर
यूँ तो पहले
कितनी बार मिला था लेकिन
इक दिन मैं ने
उस की आँखों में
जलती-बुझती रौशनियों को
देख लिया था
और बहुत हैरान हुआ था
आज हमारे बीच
इक ऐसी दीवार खड़ी है
जिस का कोई नाम नहीं है