(गेब्रियल गर्सिमक्रूज़ के अंदाज़ में)
जब वो पैदा हुआ
तो उस की दोनों आँखें दहक रही थीं
दोनों पपोटे फटे हुए थे
पुतली की दीवार से लटके
आँखों के पर्दे आगे से हटे हुए थे
जब उस की आँखें हिलतीं
तो दीवारों पे उन की लौ हिलने लगती थी
वो पैदा होने से पहले
सारे धोने धो आया था
अपने जन्म का सारा रोना रो आया था
नज़्म
फ़ारिग़
वहीद अहमद