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एक शाम बाग़ में | शाही शायरी
ek sham bagh mein

नज़्म

एक शाम बाग़ में

मोहम्मद अल्वी

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नन्हे पौदों के हाथों में रंग-बिरंगे जाम
छतनारे पेड़ों पे गिरती चिड़ियों का कोहराम

बाग़, बाग़ में हौज़, हौज़ में फ़व्वारे का पेड़
पत्थर की कुर्सी पर बैठी जलती बुझती शाम