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एक नज़्म | शाही शायरी
ek nazm

नज़्म

एक नज़्म

साइमा ख़ैरी

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तवील बरसों के बा'द देखा
वो प्यारा मुशफ़िक़ हसीन चेहरा

कि जिस ने मुझ को
वो रौशनी दी

कि जिस से मैं ने
बहुत से टूटे दिलों को जोड़ा

वो रौशनी का हसीन चेहरा
उभरती शामों के साथ उभरा

मुझे नया गीत दे गया है
नया सवेरा