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एक डायलॉग सुब्ह के वक़्त | शाही शायरी
ek dialogue subh ke waqt

नज़्म

एक डायलॉग सुब्ह के वक़्त

सय्यद साजिद

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कल अचानक यहाँ
उस ने मुझ से कहा

रात भर मेरी मिट्टी को
इक नेवला

धड़धड़ाता रहा
मैं ने हँस कर कहा

ये अजब बात है
मेरे सीने से भी

कोई चिमटा रहा
छिपकिली की तरह