छोड़ दे यार अब खेल तमाशे
देख स्वाँग रचाते अपना असली चेहरा खो बैठेगा
अपने आप से जो इक रस्मी सा रिश्ता है
हाथ उस से भी धो बैठेगा
छोड़ दे झूटी शहवत के मसनूई दा'वे
इश्क़-ओ-मोहब्बत के ये जाली नारे
लज़्ज़त भरे तलाज़ुमों के बाज़ारी नुतफ़े
जिन्नाती तश्बीहों में इन छोटी छोटी कमीनगियों के गिराते हकलाते बूटे
बे-मा'नी अय्यार दलीलें
माँगे ताँगे फ़लसफ़ियों के फ़र्ज़ी टोने
छोड़ ता'वीज़ और धागे खेल तमाशे
बंदा बन जा
अब तो मन जा
सीधे मुँह अब आदम-ज़ादों जैसी हम से बातें कर
वर्ना जो तू नहीं है इस की नक़्ल उतारते
तेरा मुँह भी टेढ़ा-मेढ़ा हो जाएगा
तेरी इन जाली नज़्मों का टोना उल्टा हो जाएगा

नज़्म
एक डब्बा शाइ'र के लिए नज़्म
सरमद सहबाई