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एक आदमी | शाही शायरी
ek aadmi

नज़्म

एक आदमी

वहाब दानिश

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रास्ते में
शाम मिल जाएगी तन्हा

तुम उसे हम-राह ले कर
घूमना सुनसान दरिया के किनारे

बैठ जाना
जब थकावट पाँव पकड़े

बात करने के लिए
टीले मिलेंगे

गुनगुनाने की अगर ख़्वाहिश हुई तो
रोक लेना सरसराती सी हवा को

नींद आ जाए
तो सौ जाना कहीं भी

रात ऐसी ही मिलेगी
घर से बाहर