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एहसास | शाही शायरी
ehsas

नज़्म

एहसास

इफ़्तिख़ार आज़मी

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मेरी आँखों में है बे-ख़्वाबी के नश्तर चुभन
हर तरफ़ तीरा-शबी, हर तरफ़ एक घुटन

कोई शोला न किरन
सर्द होने को है दिल की धड़कन

तक रही है मुझे किस हसरत से
मेरे बिस्तर की हर इक दर्द से भरपूर शिकन

डस न ले दिल को ये तन्हाई के एहसास की काली नागन
ऐ मिरे ख़्वाब की दिल-कश परियो

गुनगुनाती हुई ज़ुल्फ़ों की घटा
सुर्ख़ रुख़्सार

दमकते हुए लब
नश्शा-ए-चश्म-ए-फ़ुसूँ-साज़ लिए

मरमरीं जिस्म लिए
शोला-ए-आवाज़ लिए

आ सको आज अगर आ जाओ
मेरी तन्हाई को चमका जाओ

सर्द है आतिश-ए-दिल
अपने आँचल की हवा से उसे दहका जाओ!