जब इंसान ने पढ़ना सीखा
पढ़ने लगा तहज़ीब की आयत
मिट्टी
आग
हवा
और पानी
दुश्मन सारे
बन गए यार
उस की आयत की तफ़्सीरें अब
इतनी हैं
कि अक़्ल है दंग
लेकिन इक ऐसी है बात
जिस से कि बनती है बात
इन बे-गिनती तफ़सीरों की
हर इक इंसाँ इंसाँ है
जब इंसान ने पढ़ना सीखा
पढ़ने लगा तहज़ीब की आयत
गिरने लगीं दीवारें
खुलने लगे दरवाज़े
जिन लोगों ने
दीवारें बनवाई हैं
भूल गए तहज़ीब की आयत

नज़्म
तहज़ीब की आयत
दाऊद ग़ाज़ी