इस जीवन की राहगुज़र में कैसे उम्र बिताऊँ
चुप साधूँ तो दिल में जैसे शोअ'ला भड़का जाए
भीड़ से हट कर बात कहूँ तो दीवाना कहलाऊँ
सच पूछो तो मेरा दुश्मन है मेरा एहसास
नज़्म
दुश्मन
खलील तनवीर
नज़्म
खलील तनवीर
इस जीवन की राहगुज़र में कैसे उम्र बिताऊँ
चुप साधूँ तो दिल में जैसे शोअ'ला भड़का जाए
भीड़ से हट कर बात कहूँ तो दीवाना कहलाऊँ
सच पूछो तो मेरा दुश्मन है मेरा एहसास