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दुख | शाही शायरी
dukh

नज़्म

दुख

ताहिरा जबीन तारा

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दुख
बिछड़ने का नहीं होता

बल्कि
इन रिश्तों के टूटने का होता है

जो
बरसों की रिफ़ाक़त के बा'द

इक पल में टूट जाते हैं
और

हम तही-दामाँ रह जाते हैं