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दुकान | शाही शायरी
dukan

नज़्म

दुकान

जाफ़र साहनी

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नीम के साए में
एक खुरदुरे फ़ुट-पाथ पर

लहकते सूरज से परे
शिकस्ता चोबी गाड़ी की ज़मीं पे

टेढ़े मेढ़े हाथ पाँव में
उलझती हयात

ग़म-ज़दा आँखों के दर्द
लब पे इक ख़ामोश कर्ब

मुँह से कुछ बहते लुआब
अपनी जानिब

खींचते हैं
बोलते सुकूँ के ढेर