EN اردو
दुआ दुआ चेहरा | शाही शायरी
dua dua chehra

नज़्म

दुआ दुआ चेहरा

उबैदुल्लाह अलीम

;

दुआ दुआ वो चेहरा
हया हया वो आँखें

सबा सबा वो ज़ुल्फ़ें
चले लहू गर्दिश में

रहे आँख में दिल में
बसे मिरे ख़्वाबों में

जले अकेले-पन में
मिले हर इक महफ़िल में

दुआ दुआ वो चेहरा
कभी किसी चिलमन के पीछे

कभी दरख़्त के नीचे
कभी वो हाथ पकड़ते

कभी हवा से डरते
कभी वो बारिश अंदर

कभी वो मौज समुंदर
कभी वो सूरज ढलते

कभी वो चाँद निकलते
कभी ख़याल की रौ में

कभी चराग़ की लौ में
दुआ दुआ वो चेहरा

कभी बाल सुखाए आँगन में
कभी माँग निकाले दर्पन में

कभी चले पवन के पाँव में
कभी हँसे धूप में छाँव में

कभी पागल पागल नैनों में
कभी छागल छागल सीनों में

कभी फूलों फूल वो थाली में
कभी दियों भरी दीवाली में

कभी सजा हुआ आईने में
कभी दुआ बना वो ज़ीने में

कभी अपने-आप से जंगों में
कभी जीवन मौज-तरंगों में

कभी नग़्मा नूर-फ़ज़ाओं में
कभी मौला हुज़ूर दुआओं में

कभी रुके हुए किसी लम्हे में
कभी दुखे हुए किसी चेहरे में

वही चेहरा बोलता रहता हूँ
वही आँखें सोचता रहता हूँ

वही ज़ुल्फ़ें देखता रहता हूँ
दुआ दुआ वो चेहरा

हया हया वो आँखें
सबा सबा वो ज़ुल्फ़ें