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दोस्तों से कह दो | शाही शायरी
doston se kah do

नज़्म

दोस्तों से कह दो

मुस्तफ़ा अरबाब

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हम ख़्वाब नहीं देख सकते
हमारे घर के क़रीब

कोई नहर नहीं बहती
और न ही

किसी पार्क में
संगी नशिस्त

हमारे नाम से मंसूब है
हमारी तरफ़

आने वाले किसी रास्ते पर
कोई दरख़्त नहीं लगाया गया

नीला आसमान
हम से बहुत दूर है

और सितारे
सिर्फ़ हमारी आँखों में चमकते हैं

दोस्तों से कह दो
हम हालत-ए-जंग में

आसमान से गिराए गए खिलौने हैं
कोई हम से मत खेले