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दो ज़बानों में सज़ा-ए-मौत | शाही शायरी
do zabanon mein saza-e-maut

नज़्म

दो ज़बानों में सज़ा-ए-मौत

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

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हमेशा पुर-सुकून रहने वाली
मालाज़ीबतबाम

कैंप-गार्ड से निकल गई
उस के साथ

'ऐडवर्ड' भी
जो उस पर आशिक़ था

''मुझे हाथ मत लगाओ''
फिर से गिरफ़्तार होने पर

उस ने कहा
हाथ गाड़ी में डाल कर

उस का जिस्म
दूर तक ले जाया गया

बच निकलने के बावजूद
'ऐडवर्ड'

उस दिन वापस आ गया
उसे दो ज़बानों में

सज़ा-ए-मौत दी गई
क्यूँ?