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दो-धारी तलवार | शाही शायरी
do-dhaari talwar

नज़्म

दो-धारी तलवार

हनीफ़ तरीन

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ख़्वाहिश की तस्कीं की ख़ातिर
अपने ला-यानी जज़्बों को

लौह-ए-दिल पर आँक रहे हैं
देश बिदेश की ख़ाक छान के

गिरते पड़ते फाँक रहे हैं
अपनी दीद से ग़ाफ़िल रह कर

ना-दीदा को झाँक रहे हैं