दिल से
हज़ार ख़याल निकलते
जब से
तुम्हें देखा है
तुम से पहले
ज़िंदगी में कोई
चमक नहीं थी
अब हाथ भी
दुआ को उठते हैं
अब नमाज़ भी मैं पढ़ता हूँ
तुम से पहले
मैं ऐसा नहीं था
तुम को देखा तो
दस्त-ए-सवाल हुआ मैं
नज़्म
दिल से
शहाब अख़्तर
नज़्म
शहाब अख़्तर
दिल से
हज़ार ख़याल निकलते
जब से
तुम्हें देखा है
तुम से पहले
ज़िंदगी में कोई
चमक नहीं थी
अब हाथ भी
दुआ को उठते हैं
अब नमाज़ भी मैं पढ़ता हूँ
तुम से पहले
मैं ऐसा नहीं था
तुम को देखा तो
दस्त-ए-सवाल हुआ मैं