दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म
दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म
जैसे जंगल में शाम के साए
जाते जाते सहम के रुक जाएँ
मर के देखें उदास राहों पर
कैसे बुझते हुए उजालों में
दूर तक धूल ही धूल उड़ती है!
नज़्म
दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म
गुलज़ार
नज़्म
गुलज़ार
दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म
दिल में ऐसे ठहर गए हैं ग़म
जैसे जंगल में शाम के साए
जाते जाते सहम के रुक जाएँ
मर के देखें उदास राहों पर
कैसे बुझते हुए उजालों में
दूर तक धूल ही धूल उड़ती है!