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दिल का फैलाव | शाही शायरी
dil ka phailaw

नज़्म

दिल का फैलाव

असग़र नदीम सय्यद

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दिल का फैलाव तो ज़मीन का फैलाव है
गंदुम फल शीशम और पानी

फिर लड़की और हवा में
नग़्मा दिल के परिंदों का

इन ज़िंदों का जो ग़ैर-मुनाफ़ा-बख़्श ज़मीन पे रहते हैं
पानी शीशम बच्चा लड़की तेज़ हवा और फल में

ख़्वाब है सुब्ह-ए-सादिक़ का
उन औरतों का जो दूसरों की मर्ज़ी से ब्याही जाती हैं

उन बोसों का
जो गाड़ी की सीटी से डर जाते हैं

शहर में कौन है
जिस ने आँख में दरिया

दिल में समुंदर
देखा और तस्लीम किया है

दिल का फैलाव तो ज़मीन का फैलाव है
जिस में पानी शीशम गंदुम बच्चा

लड़की तेज़ हवा और फल की
रिहाइश-गाहें हैं