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दिल-दही | शाही शायरी
dil-dahi

नज़्म

दिल-दही

अब्दुल अहद साज़

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शाम की ज़ौ
हर तरफ़ साहिल पे हल्का सा अँधेरा अब्र का

दूर उफ़ुक़ पर इक उदासी का मुहीत
डूबी डूबी महव सी नमनाक आँखें

दर्द-ए-फ़ुर्क़त से हज़ीं रोया हुआ दिल
और समुंदर

नर्म लहरों के मुलाएम हाथ से
तिफ़्ल को दे रहा है हौले हौले थपकियाँ