धूप लगे आकाश पे जब
दिन में चाँद नज़र आया था
डाक से आया मोहर लगा
एक पुराना सा तेरा चिट्ठी का लिफ़ाफ़ा याद आया
चिट्ठी गुम हुए तो अर्सा बीत चुका
मोहर लगा बस मटियाला सा
उस का लिफ़ाफ़ा रक्खा है!
नज़्म
धूप लगे आकाश पे जब
गुलज़ार
नज़्म
गुलज़ार
धूप लगे आकाश पे जब
दिन में चाँद नज़र आया था
डाक से आया मोहर लगा
एक पुराना सा तेरा चिट्ठी का लिफ़ाफ़ा याद आया
चिट्ठी गुम हुए तो अर्सा बीत चुका
मोहर लगा बस मटियाला सा
उस का लिफ़ाफ़ा रक्खा है!