ख़ुद में उतर कर मैं रोया था
बाहर मंज़र
फूट फूट कर इतना रोया
हर शय डूब गई थी
और मैं उस पल
अपने तन की कश्ती खेता
सात समुंदर पार गया था
सूरज तारों और अम्बर ने
गले लगा कर
धरती का उपहार दिया था
सब कुछ मुझ पर वार दिया था
नज़्म
धरती का उपहार मिला जब
हनीफ़ तरीन