EN اردو
देखो आहिस्ता चलो | शाही शायरी
dekho aahista chalo

नज़्म

देखो आहिस्ता चलो

गुलज़ार

;

देखो आहिस्ता चलो और भी आहिस्ता ज़रा
देखना सोच सँभल कर ज़रा पाँव रखना

ज़ोर से बज न उठे पैरों की आवाज़ कहीं
काँच के ख़्वाब हैं बिखरे हुए तन्हाई में

ख़्वाब टूटे न कोई जाग न जाए देखो
जाग जाएगा कोई ख़्वाब तो मर जाएगा