दिल दरोग़-गो रावी
फ़ासले बला के हैं
पैरहन के पैराए
जिस्म की परस्तिश में
जुस्तुजू मोहब्बत की
ख़ुद फ़रेब ख़्वाहिश में
दिल दरोग़-गो रावी
फ़ासले बला के हैं
पैकर-ए-वफ़ा किस ने
जिस्म से तराशा है
ज़ुल्फ़-ओ-आरिज़-ओ-लब में
पैरा का तमाशा है
दाग़-ए-दिल का सरमाया
किस ने किस को अपनाया
नज़्म
दरोग़-गो रावी
ज़िया जालंधरी