ले चबा ये सर
जो अब जबड़ों में है तेरे
अगर तू वाक़ई में शेर है तो
शेर बन कर आज दिखला दे
मुझे जोकर समझता था
अरे मैं तो फ़क़त इस पेट की ख़ातिर
हँसाने के लिए सब को
तेरे जबड़ों में सर देने से पहले भाग जाता था
मुझे इस खेल की तनख़्वाह मिलती थी
यही किरदार सर्कस में मिरे हिस्से में आया था
मगर मैं आज तुझ को देख लूँगा
दिखा दूँगा ज़माने को कि बुज़दिल मैं नहीं बुज़दिल तू है
ले चबा
अब जोकरों सा
मुँह को फाड़े क्यूँ खड़ा है
नज़्म
सर्कस में नौकरी का आख़िरी दिन
शारिक़ कैफ़ी