EN اردو
सर्कस में नौकरी का आख़िरी दिन | शाही शायरी
circus mein naukri ka aaKHiri din

नज़्म

सर्कस में नौकरी का आख़िरी दिन

शारिक़ कैफ़ी

;

ले चबा ये सर
जो अब जबड़ों में है तेरे

अगर तू वाक़ई में शेर है तो
शेर बन कर आज दिखला दे

मुझे जोकर समझता था
अरे मैं तो फ़क़त इस पेट की ख़ातिर

हँसाने के लिए सब को
तेरे जबड़ों में सर देने से पहले भाग जाता था

मुझे इस खेल की तनख़्वाह मिलती थी
यही किरदार सर्कस में मिरे हिस्से में आया था

मगर मैं आज तुझ को देख लूँगा
दिखा दूँगा ज़माने को कि बुज़दिल मैं नहीं बुज़दिल तू है

ले चबा
अब जोकरों सा

मुँह को फाड़े क्यूँ खड़ा है