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चुनी हुई दीवार में दर | शाही शायरी
chuni hui diwar mein dar

नज़्म

चुनी हुई दीवार में दर

अली साहिल

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मैं
तुम्हें अपनी क़ब्र की मिट्टी से

खिलौने बनाने की इजाज़त नहीं दे सकता
तुम अगर चाहो तो

इस मिट्टी से कोई गीत बुन सकती हो
या कोई दीवार चुन सकती हो

चुनी हुई दीवार में दर
मेरे नालों की ज़िम्मेदारी है

ये तो में चुनी हुई दीवार की बात कर रहा हूँ
ये आसमान भी मेरी दस्तरस से बाहर नहीं है