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छुट्टी का दिन | शाही शायरी
chhuTTi ka din

नज़्म

छुट्टी का दिन

शारिक़ कैफ़ी

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ये मेरी मौत पर छुट्टी का दिन है
कैलेंडर पर छपी ये आज की तारीख़

मेरी मौत ही से लाल हो सकती थी शायद
सवेरे तक जो काली रौशनाई से लिखी थी

मज़ा ही कुछ अलग है ऐसी छुट्टी का
अचानक जो मिली हो

ये मेरा आख़िरी तोहफ़ा है अपने साथियों को
वगरना पीर का दिन

कितना सर-दर्दी भरा होता है दफ़्तर का
ये दुनिया जानती है