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छोटी सी हँसी | शाही शायरी
chhoTi si hansi

नज़्म

छोटी सी हँसी

निदा फ़ाज़ली

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सूनी सूनी थी फ़ज़ा
मैं ने यूँही

उस के बालों में गुँधी ख़ामोशियों को छू लिया
वो मुड़ी

थोड़ा हँसी
मैं भी हँसा

फिर हमारे साथ
नदियाँ वादियाँ

कोहसार बादल
फूल कोंपल

शहर जंगल
सब के सब हँसने लगे

इक मोहल्ले में
किसी घर के

किसी कोने की
छोटी सी हँसी ने

दूर तक फैली हुई दुनिया को
रौशन कर दिया है

ज़िंदगी में
ज़िंदगी का रंग फिर से भर दिया है