ये दौर-ए-नौ-मुबारक फ़र्ख़न्दा-अख़तरी का
जम्हूरियत का आग़ाज़ अंजाम क़ैसरी का
क्या जाँ-फ़ज़ा है जल्वा ख़ुर्शीद-ए-ख़ावरी का
हर इक शुआ-ए-रक़्साँ मिस्रा है अनवरी का
रोज़-ए-सईद आया छब्बीस जनवरी का
दौर-ए-जदीद लाया भारत की बरतरी का
भारत की बरतरी में किस को कलाम है अब
था जो रहीन-ए-पस्ती गर्दूं-मक़ाम है अब
जम्हूरियत पे क़ाएम सारा निज़ाम है अब
आला है या है अदना बा-एहतिराम है अब
रोज़-ए-सईद आया छब्बीस जनवरी का
दौर-ए-जदीद लाया भारत की बरतरी का
सदियों के बंद टूटे आज़ाद होगए हम
क़ैद-ए-गिराँ से छूटे दिल-ए-शाद हो गए हम
बे-ख़ौफ़ बे-नियाज़-ए-सय्याद हो गए हम
फिर बस गया नशेमन आबाद होगए हम
रोज़-ए-सईद आया छब्बीस जनवरी का
दौर-ए-जदीद लाया भारत की बरतरी का
जो मुज़्तरिब थी दिल में वो आरज़ू बर आई
तकमील-ए-आरज़ू ने दिल की ख़लिश मिटाई
जिस मुल्क पर ग़ुलामी बन बन के शाम छाई
सुब्ह-ए-मसर्रत उस को अल्लाह ने दिखाई
रोज़-ए-सईद आया छब्बीस जनवरी का
दौर-ए-जदीद लाया भारत की बरतरी का
ताबीर-ए-ख़्वाब-ए-'गाँधी' तफ़्सीर-ए-हाल-ए-'नेहरू'
'आज़ाद' की रियाज़त 'सरदार' की तगापू
रख़्शाँ है हुर्रियत का ज़ेबा-निगार दिल-जू
तस्कीन-ए-क़ल्ब मुस्लिम आराम-ए-जान-ए-हिन्दू
रोज़-ए-सईद आया छब्बीस जनवरी का
दौर-ए-जदीद लाया भारत की बरतरी का
क़ुर्बां हुए जो इस पर रूहें हैं शाद उन की
हम जिस से बहरा-वर हैं वो है मुराद उन की
है बस-कि सरफ़रोशी शायान-ए-दाद उन की
भारत की इस ख़ुशी में शामिल है याद उन की
रोज़-ए-सईद आया छब्बीस जनवरी का
दौर-ए-जदीद लाया भारत की बरतरी का
आज़ाद हो गया जब हिन्दोस्ताँ हमारा
है सूद के बराबर हर इक ज़ियाँ हमारा
मंज़िल पे आन पहुँचा जब कारवाँ हमारा
क्यूँ हो गुबार-ए-मंज़िल ख़ातिर-निशाँ हमारा
रोज़-ए-सईद आया छब्बीस जनवरी का
दौर-ए-जदीद लाया भारत की बरतरी का
ऐवान-ए-फ़र्रुख़ी की तामीर-ए-नौ मुबारक
आईन-ए-ज़िंदगी की तदबीर-ए-नौ मुबारक
हर ज़र्रा-ए-वतन को तनवीर-ए-नौ मुबारक
भारत के हर बशर को तौक़ीर-ए-नौ मुबारक
रोज़-ए-सईद आया छब्बीस जनवरी का
दौर-ए-जदीद लाया भारत की बरतरी का
भारत का अज़्म है ये तौफ़ीक़ ऐ ख़ुदा दे
दुनिया से ईन-ओ-आँ की तफ़रीक़ को मिटा दे
अम्न-ओ-अमाँ से रहना हर मुल्क को सिखा दे
हर क़ौम शुक्रिये में हर साल ये सदा दे
रोज़-ए-सईद आया छब्बीस जनवरी का
दौर-ए-जदीद लाया भारत की बरतरी का
नज़्म
छब्बीस जनवरी
तिलोकचंद महरूम