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चौथा आदमी | शाही शायरी
chautha aadmi

नज़्म

चौथा आदमी

निदा फ़ाज़ली

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बैठे बैठे यूँही क़लम ले कर
मैं ने काग़ज़ के एक कोने पर

अपनी माँ
अपने बाप के दो नाम

एक घेरा बना के काट दिए
और

इस गोल दाएरे के क़रीब
अपना छोटा सा नाम टाँक दिया

मेरे उठते ही, मेरे बच्चे ने
पूरे काग़ज़ को ले कर फाड़ दिया!