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चलो तुम को.... | शाही शायरी
chalo tumko

नज़्म

चलो तुम को....

शहरयार

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नुकीले नाख़ुनों से अपनी क़ब्रें खोदते जाओ
थकन से चूर चेहरों पर

अभी तक शर्म के आसार बाक़ी हैं
अँधेरों के किसी पाताल में

उतरे चले जाओ
तुम्हारे रतजगों ने नींद को पामाल कर डाला

सख़ी आँखों के अश्कों ने तुम्हें कंगाल कर डाला
तुम्हारी बे-दिली का कर्ब अब देखा नहीं जाता

चलो तुम को किसी इक घूमती कुर्सी पे बिठला दें