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चाक़ू | शाही शायरी
chaqu

नज़्म

चाक़ू

ज़ीशान साहिल

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हमारी तन्हाई से
एक लालटैन बनाई जा रही है

जिसे तूफ़ानी बारिश में
हंगामी तौर पर इस्ति'माल किया जाएगा

या सोने की कान में काम करने वालों को
मुफ़्त फ़राहम किया जाएगा

हमारी तन्हाई से
एक बग्घी बनाई जा रही है

जिसे तफ़रीही मक़ामात पर रखा जाएगा
या एक्सप्रेस ट्रेन के

पटरी से उतर जाने के बअ'द
ख़राब मौसम में

रवाना क्या जाएगा
हमारी तन्हाई से

एक पुल बनाया जा रहा है
जिसे जंग के दौरान या बअ'द में

टैंकों के गुज़र जाने के लिए
इस्ति'माल किया जाएगा

या अचानक
धमाके से उड़ा दिया जाएगा

हमारी तन्हाई से
एक चाक़ू बनाया जा रहा है

जिसे काग़ज़ काटने और सेब तराशने के
काम में लाया जाएगा

और
ज़ंग-आलूद होने पर

हमारे दिल में
उतार दिया जाएगा