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चाहत | शाही शायरी
chahat

नज़्म

चाहत

सरवत हुसैन

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आदमी पेड़ और मकान
साफ़ नीला आसमान

संग-रेज़े और गुलाब
सब के सब अच्छे लगे

उस के घर जाते हुए